Important Signs and symbols in Palmistryइस दुनियां में जो व्यक्ति जन्म लेता है उनका भाग्य ईश्वर जन्म के साथ ही निर्धारित कर देता है। ईश्वर हर व्यक्ति के साथ उसकी जन्म कुण्डली स्वयं तैयार करके हाथों में थमा देता है। आपके हाथों में खींची आडी तीरछी रेखाएं और विभिन्न चिन्ह परमात्मा के लेख हैं जिसे विधि का लेख या भाग्य कहते हैं आपके हाथों में मौजूद चिन्ह आपके भाग्य के विषय में क्या कहता हैं आइये देखते हैं।
आप अपनी हथेलियों को गौर से देखिये आपको अपनी हथेली पर कई अलग अलग तरह की आकृति दिखाई देगी। आकृतियों में तारा, द्वीप, जाली, त्रिकोण, गुणा, वर्ग, धब्बा आपको नज़र आएंगे इसके अलावा छतरी आदि के चिन्ह भी आप अपनी हथेली पर देख सकते हैं। इन चिन्हों में से कुछ शुभ होते हैं तो कुछ अशुभ, हथेली में जिस स्थान पर ये चिन्ह होते हैं उसी के अनुरूप इन चिन्हों का फल हमें प्राप्त होता है।
तारा (Star):
सबसे पहले हम तारा का जिक्र करते हैं। हथेली में इस चिन्ह को अत्यंत शुभ कहा गया है (Star sign is auspicious in Astrology)। किसी रेखा के अंतिम सिरे पर जब तारा होता है तब उस रेखा का पभाव काफी बढ़ जाता है। तारा हथेली के जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की शक्ति काफी बढ़ जाती है जिससे आपको उस पर्वत से सम्बन्धित फल में उत्तमता प्राप्त होती है। तारा जिस पर्वत पर होता है उसके अनुसार मिलने वाले फल की बात करें तो यह अगर बृइस्पति पर हो तो आप शक्तिशाली एवं प्रतिष्ठति होंगे व आपके मान सम्मान में इजाफा होगा।
तारा सूर्य पर्वत पर दिख रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपके पास पैसा भी होगा और आप अच्छे पद एवं प्रभाव में होंगे फिर भी मन में खुशी की अनुभूति नहीं होगी। आपके हाथों तारा अगर चन्द्र पर्वत पर है तो आप लोकप्रियता एवं यश प्राप्त करेंगे हो सकता है कि इस स्थिति में आप कलाकर हो सकते हैं। मंगल पर्वत पर तारा होने से आपका भाग्य अच्छा रहेगा और आपके सामने एक से एक अवसर आते रहेंगे।
आप विज्ञान के क्षेत्र में कामयाबी प्राप्त कर सकते हें और इस क्षेत्र में एक के बाद एक सफलता हासिल कर सकते हैं। आप किसी से प्रेम करते हैं तो देखिये आपके शुक्र पर्वत पर तारा का निशान है या नहीं। अगर इस स्थान पर तारा का निशान है तो आप प्रेम में कामयाब रहेंगे। शनि पर्वत पर तारा का निशान होना इस बात का संकेत है कि आप जीवन में कामयाबी हासिल करेंगें, परंतु इसके लिए आपको काफी परेशानी व कठिनाईयों से गुजरना होगा।
द्वीप (Island):
द्वीप चिन्ह को हस्तरेखीय ज्योतिष में दुर्भाग्यशाली चिन्ह माना जाता है (Island is inauspicious Sign in Palmistry)। यह जिस पर्वत पर होता है उस पर विपरीत प्रभाव डालता है। गुरू पर्वत पर यह चिन्ह होने पर गुरू कमज़ोर हो जाता है जिससे आपके मान सम्मान की हानि होती है और आप जीवन में अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल होते हैं। द्वीप चिन्ह सूर्य पर्वत पर होने से सूर्य का प्रभाव क्षीण होता है फलत: आपकी कलात्मक क्षमता उभर नहीं पाती है। चन्द्र पर्वत पर इस चिन्ह के होने से आपकी कल्पना शक्ति प्रभावित होती है।
मंगल पर्वत पर द्वीप चिन्ह होने से आपके अंदर साहस एवं हिम्मत की कमी होती और बुध पर इस चिन्ह के होने से आपका मन अस्थिर होता है जिससे आप किसी भी काम को पूरा करने से पहले ही आपका मन उचट जाता है और आप काम में बीच में ही अधूरा छोड़ देते हैं। जिनके शुक्र पर्वत पर द्वीप के निशान होते हैं वे बहुत अधिक शौकीन होते हैं और सुन्दरता के प्रति दीवानगी रखते हैं। आपके शनि पर्वत पर यदि द्वीप बना हुआ है तो आपके जीवन में शनि का प्रकोप रहेगा यानी काफी मेहनत के बाद ही आपका कोई काम सफल होगा। आपका एक काम बनेगा तो दूसरी परेशानी सिर उठाए खड़ी रहेगी।
हस्तरेखा विशेषज्ञ कहते हैं द्वीप चिन्ह अगर हृदय रेखा पर साफ और उभरी नज़र आ रही है तो आप हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं, इस स्थिति में आपको दिल का दौरा भी पड़ सकता है। यह चिन्ह का मस्तिष्क रेखा पर होने से आपको मानसिक परेशानियों का सामना करना होता है व आपके सिर में दर्द रहता है।
गुणा (Cross):
हस्त रेखा अध्ययन में इस चिन्ह को कई अर्थों में देखा जाता है क्योंकि यह चिन्ह कठिन, निराशा, दुर्घटना और जीवन में आने वाले बदलाव को दर्शाता है। इस चिन्ह को यूं तो शुभ नहीं माना जाता है परंतु कुछ स्थिति में यह लाभदायक भी होता है। यह चिन्ह जब बृहस्पति पर होता है तब आपकी रूचि गुप्त एवं रहस्यमयी विषयों में होती है। इस स्थिति में आप दर्शनशास्त्र में अभिरूचि लेते हैं इसी प्रकार जब यह निशान हथेली के मध्य होती है तब आप पूजा पाठ एवं अध्यात्म में रूचि लेते हैं आप अलसुलझे रहस्यो पर से पर्दा हटाने की कोशिश करते हैं अर्थात पराविज्ञान की ओर आकर्षित रहते हैं।
हस्त रेखा से भविष्य का आंकलन करने वाले कहते हैं गुणा का चिन्ह जब सूर्य पर्वत पर होता है तब आपको विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में आपकी आर्थिक दशा कमज़ोर रहती है आपके अंदर की कला का विकास सही से नहीं हो पाता है और न तो आपको प्रसिद्धि मिल पाती है। मंगल पर्वत पर बुध के नीचे अगर यह चिन्ह नज़र आ रहा है तो आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि इस स्थिति में आपको अपने शत्रुओं से काफी खतरा रहता है। इसी प्रकार मंगल पर्वत पर यह चिन्ह बृहस्पति के नीचे दिखाई दे रहा तो यह भी शुभ संकेत नहीं है इस स्थति आपको संघर्ष से बच कर रहना चाहिए अन्यथा आपकी जान को खतरा रहता है।
यह चिन्ह अगर शनि पार्वत पर हो और भाग्य रेखा को छू रहा हो तो यह समझना चाहिए कि दुर्घटना अथवा संघर्ष में जान का खतरा हो सकता है। शनि पर्वत के मध्य यह चिन्ह हो तब इसी तरह की घटना होने की संभावना और भी प्रबल हो जाती है। गुणा का चिन्ह जीवन रेखा पर होना जीवन के लिए घातक होता है, जीवन रेखा में जिस स्थान पर यह होता है उस स्थान पर प्राण को संकट रहता है। जीवन रेखा पर यह चिन्ह होने से आपके अपने करीबी रिश्तेदारों से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते हैं। शुक्र पर यह निशान एवं प्रेमी दोनों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
हथेली में मौजूद अन्य चिन्हों के प्रभाव के विषय में जानने के लिए आप हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह-2 देख सकते हैं।
नोट: आप कम्पयूटर द्वारा स्वयं जन्मकुण्डली, विवाह मिलान और वर्षफल का निर्माण कर सकते हैं. यह सुविधा होरोस्कोप एक्सप्लोरर में उपलब्ध है. आप इसका 45 दिनों तक मुफ्त उपयोग कर सकते हैं. कीमत 1250 रु. जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करे
हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह-2(Important Signs and symbols in Palmistry)
Important Signs and symbols in Palmistryहाथों में पाए जाने वाले चिन्ह और उनके प्रभाव के विषय में हम काफी बातें पहले भाग में कर चुके हैं। कड़ी को आगे बढ़ते हुए इस भाग में हम कुछ और चिन्हों को जानेंगे और देखेंगे कि ये चिन्ह हमारे विषय में क्या कहते हैं। आप अगर हस्तरेखा विज्ञान में रूचि रखते हैं तो यह आपके लिए उपयोगी और ज्ञानवर्घक रहेगा।
त्रिकोण (Triangle)
आप श्रृंखला के पहले भाग में पढ़ चुके होंगे कि सभी चिन्ह शुभ नहीं होते हैं और न तो सभी अशुभ प्रभाव डालने वाले होते हैं। यहां हम जिस चिन्ह की बात कर रहे हैं वह चिन्ह हथेली में होना शुभता की निशानी होती है। इस चिन्ह को यानी त्रिकोण को श्रेष्ठ चिन्ह कहा गया है। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार अगर यह आपके हाथ में है तो आप भले ही आसमान को न छू पाएं परन्तु ज़मीन पर मजे में जीवन गुजार सकते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि इस चिन्ह से बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं मिलती है लेकिन यह बुरी स्थिति से भी बचाव करती है।
त्रिकोण चिन्ह साफ व स्पष्ट होने से आपकी सोचने समझने की क्षमता अच्छी रहती है व आपकी बुद्धि तेज चलती है। यह चिन्ह जिस स्थान पर होता है उस स्थान पर मौजूद ग्रह शक्तिशाली हो जाते हैं और आपको उस ग्रह से अनुकूलता प्राप्त होती है। यह चिन्ह जब अलग अलग पर्वत पर होता है तब कैसा फल मिलता है आइये अब इसे देखें। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार जब यह चिन्ह बृहस्पति पर होता है तब आपमें प्रबंधन की क्षमता बहुत ही अच्छी रहती है, आप किसी भी संस्था को सही तरह से चलाने में सक्षम होते हैं एवं जनसमुदाय को निर्देशित करने की योग्यता रखते हैं।
त्रिकोण का चिन्ह अगर सर्य पर्वत पर हो तो आप गंभीर स्वभाव के होते हैं व कला के क्षेत्र में अपने प्रयास एवं लगन से धीरे धीरे सफलता एवं प्रसिद्धि हासिल करते हैं। आपकी हथेली मे चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण का निशान होना इस बात का सूचक होता है कि आप आपकी कल्पना व आपकी सोच निराधार नहीं होती है। आप जो भी सोचते या कल्पना करते हैं उनका एक दृढ़ आधार होता है। त्रिकोण का चिन्ह मंगल पर्वत पर होने से आप संघर्ष की स्थिति से दूर रहते हैं अगर ऐसी स्थिति आ भी जाती है तो आप अपनी चतुराई एवं अक्लमंदी से स्थितियों को अपनी ओर कर लेते है, साथ ही आप कठिन घड़ी में भी अपने आप पर नियंत्रण बनाये रखने में सक्षम होते हें और संकट की स्थिति में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि यह चिन्ह जब बुध पर्वत पर होता है तब आप व्यापार, व्यवसाय एवं आर्थिक विषयों में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कामयाब होते हैं। शुक्र प्यार मुहब्बत का स्थान होता है, शुक्र पर्वत पर इस चिन्ह के होना प्रेम और प्रेमी दोनों के लिए ही शुभ माना जाता है। इस स्थान पर यह चिन्ह होने से आप अपने मन को काबू में रख पाने में सफल होते हैं अर्थात आपका अपने मन पर नियंत्रण होता है एवं आपमें सहनशीलता रहती है जो प्यार की कामयाबी के लिए आवश्यक कहा गया है।
आप अपनी हथेली को गौर से देखिये कहीं यह चिन्ह शनि पर्वत पर तो नहीं है। अगर शनि पर्वत पर यह चिन्ह है तो आपके विषय में यही कहा जा सकता है कि यह आपको गुप्त विद्याओं की ओर आकर्षित करेगा आप तंत्र, मंत्र, यंत्र के पुजारी होंगे। आप लोगों को अपनी चमत्कारी विद्याओ से चकित करने की चाहत रखेंगे।
चक्र (Circle):
हस्त रेखीय ज्योतिष में चक्र के निशान को शुभ नहीं माना गया है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत से सम्बन्धित फल की हानि करता है, अगर यह किसी पर्वत पर स्थित होकर किसी रेखा को छूता है तो जिस रेखा को यह छूता है उसके शुभ प्रभाव की हानि हो जाती है। यह भी कहा गया है कि अगर यह रेखा चन्द्र पर्वत पर हो तब आपको जलक्षेत्र से सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में आपको जल में डूबकर मरने की संभावना रहती है।
सूर्य पर्वत इस सम्बन्ध में अपवाद माना गया है। अगर यह चिन्ह सूर्य पर्वत पर होता है तो इसे अशुभ नहीं माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर यह सूर्य ग्रह से मिलने वाले फल की वृद्धि करता है और आपको सूर्य का शुभ प्रभाव दिलाता है।
वर्गाकार रेखा ( Square):
हथेली में वर्गाकार रेखा शुभ चिन्ह के रूप में जाता है। इस रेखा को रक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है क्योकि यह निशान आपको जीवन में आने वाली समस्याओं को सहने की ताकत देता है और आपके अंदर की क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप आने वाली किसी भी कठिनाई से लड़कर अपने आपको सामान्य स्थिति मे ले आते हैं। हथेली में मौजूद अलग अलग पर्वत पर इस चिन्ह का प्रभाव भी अलग होता है जैसे अगर यह चिन्ह गुरू पर्वत पर हो तो आप महत्वाकांक्षी होते हैं आपके सपने आसमान की बुलंदियों को छूते हैं।
सूर्य पर्वत पर यह निशान होने से आप लोकप्रियता और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्सुक होते हैं। आपकी हथेली में चन्द्र पर्वत पर अगर वर्ग का चिन्ह है तो आप बहुत अधिक कल्पनाशील होते हैं आप ख्वाबो व ख्यालों की दुनियां में खोये रहते हैं। मंगल पर्वत पर इस चिन्ह का होना इस बात का इशारा है कि आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए अन्यथा शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं। बुध पर्वत पर वर्गाकर निशान का होना मानसिक असंतुलन को दर्शाता है। इस स्थति के होने से आपका मन चचल रहता है, आप किसी एक विषय पर अपने मन को स्थिर नहीं कर पाते हैं।
शुक्र पर्वत पर यह चिन्ह उन स्थितियों में आपको बचाता है जब आप आवेग या जोश में आकर कोई कदम उठा लेते हैं और संकट में घिर जाते हैं। शनि पर्वत पर यह निशान शुभ नहीं माना जाता है। इस स्थान पर इस चिन्ह के होने से आपको जीवन में कई स्थानों पर आपको नुकसान या क्षति की स्थिति से गुजरना होता है।
जाल (Grille):
हथेली पर जालीनुमा निशान होना सामुद्रिक ज्योतिष की दृष्टि से शुभ नहीं है। यह निशान हथेली पर जहां भी होता है उस स्थान से सम्बन्धित फल को नष्ट कर देता है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस निशान के होने से आपको जीवन में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, अगर आपके हाथों में भी यह निशान है तो समझ लिये आपको कठिनायों पर विजय हासिल करने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना होगा। हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि अगर यह निशान अपोलो पर्वत पर हो तो आपको सफलता का स्वाद मुश्किल से मिलता है।
हथेली के विभिन्न पर्वत पर इस निशान का क्या प्रभाव होता है आइये इसे देखते हैं। अगर यह निशान गुरू पर्वत पर हो तो यह आपको घमंडी, अपने आपको बढ़ा चढ़ा कर दिखाने वाला और अहमवादी बनाता है। सूर्य पर्वत पर चिन्ह का होना बताता है कि आप झूठी प्रतिष्ठा के लिए दिखावा करते और आज्ञानियों वाला काम कर जाते हैं। चन्द्र पर्वत पर जालीनुमा निशान बताता है कि आप अंदर से व्याकुल, अस्थिर और वेचैन रहते हैं। अगर आप प्यार में दिवानगी की हद पार कर जाते हैं तो संभव है कि आपकी हथेली के शुक्र पर्वत पर जालीनुमा निशान मौजूद हो, क्योंकि इस स्थान पर जाली का होना यही बताता है। शनि पर्वत पर यह निशान आपको शारीरिक रूप से अस्वस्थ एवं कमज़ोर बनाता है साथ ही यह आपको दुखी रखता है।
हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह की पहली और दूसरी कड़ी आप पढ़ चुके हैं, कुछ और रोचक चिन्हों के विषय में जानने के लिए भाग तीन देखें।
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तारा (Star):
सबसे पहले हम तारा का जिक्र करते हैं। हथेली में इस चिन्ह को अत्यंत शुभ कहा गया है (Star sign is auspicious in Astrology)। किसी रेखा के अंतिम सिरे पर जब तारा होता है तब उस रेखा का पभाव काफी बढ़ जाता है। तारा हथेली के जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की शक्ति काफी बढ़ जाती है जिससे आपको उस पर्वत से सम्बन्धित फल में उत्तमता प्राप्त होती है। तारा जिस पर्वत पर होता है उसके अनुसार मिलने वाले फल की बात करें तो यह अगर बृइस्पति पर हो तो आप शक्तिशाली एवं प्रतिष्ठति होंगे व आपके मान सम्मान में इजाफा होगा।
तारा सूर्य पर्वत पर दिख रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपके पास पैसा भी होगा और आप अच्छे पद एवं प्रभाव में होंगे फिर भी मन में खुशी की अनुभूति नहीं होगी। आपके हाथों तारा अगर चन्द्र पर्वत पर है तो आप लोकप्रियता एवं यश प्राप्त करेंगे हो सकता है कि इस स्थिति में आप कलाकर हो सकते हैं। मंगल पर्वत पर तारा होने से आपका भाग्य अच्छा रहेगा और आपके सामने एक से एक अवसर आते रहेंगे।
आप विज्ञान के क्षेत्र में कामयाबी प्राप्त कर सकते हें और इस क्षेत्र में एक के बाद एक सफलता हासिल कर सकते हैं। आप किसी से प्रेम करते हैं तो देखिये आपके शुक्र पर्वत पर तारा का निशान है या नहीं। अगर इस स्थान पर तारा का निशान है तो आप प्रेम में कामयाब रहेंगे। शनि पर्वत पर तारा का निशान होना इस बात का संकेत है कि आप जीवन में कामयाबी हासिल करेंगें, परंतु इसके लिए आपको काफी परेशानी व कठिनाईयों से गुजरना होगा।
द्वीप (Island):
द्वीप चिन्ह को हस्तरेखीय ज्योतिष में दुर्भाग्यशाली चिन्ह माना जाता है (Island is inauspicious Sign in Palmistry)। यह जिस पर्वत पर होता है उस पर विपरीत प्रभाव डालता है। गुरू पर्वत पर यह चिन्ह होने पर गुरू कमज़ोर हो जाता है जिससे आपके मान सम्मान की हानि होती है और आप जीवन में अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल होते हैं। द्वीप चिन्ह सूर्य पर्वत पर होने से सूर्य का प्रभाव क्षीण होता है फलत: आपकी कलात्मक क्षमता उभर नहीं पाती है। चन्द्र पर्वत पर इस चिन्ह के होने से आपकी कल्पना शक्ति प्रभावित होती है।
मंगल पर्वत पर द्वीप चिन्ह होने से आपके अंदर साहस एवं हिम्मत की कमी होती और बुध पर इस चिन्ह के होने से आपका मन अस्थिर होता है जिससे आप किसी भी काम को पूरा करने से पहले ही आपका मन उचट जाता है और आप काम में बीच में ही अधूरा छोड़ देते हैं। जिनके शुक्र पर्वत पर द्वीप के निशान होते हैं वे बहुत अधिक शौकीन होते हैं और सुन्दरता के प्रति दीवानगी रखते हैं। आपके शनि पर्वत पर यदि द्वीप बना हुआ है तो आपके जीवन में शनि का प्रकोप रहेगा यानी काफी मेहनत के बाद ही आपका कोई काम सफल होगा। आपका एक काम बनेगा तो दूसरी परेशानी सिर उठाए खड़ी रहेगी।
हस्तरेखा विशेषज्ञ कहते हैं द्वीप चिन्ह अगर हृदय रेखा पर साफ और उभरी नज़र आ रही है तो आप हृदय रोग से पीड़ित हो सकते हैं, इस स्थिति में आपको दिल का दौरा भी पड़ सकता है। यह चिन्ह का मस्तिष्क रेखा पर होने से आपको मानसिक परेशानियों का सामना करना होता है व आपके सिर में दर्द रहता है।
गुणा (Cross):
हस्त रेखा अध्ययन में इस चिन्ह को कई अर्थों में देखा जाता है क्योंकि यह चिन्ह कठिन, निराशा, दुर्घटना और जीवन में आने वाले बदलाव को दर्शाता है। इस चिन्ह को यूं तो शुभ नहीं माना जाता है परंतु कुछ स्थिति में यह लाभदायक भी होता है। यह चिन्ह जब बृहस्पति पर होता है तब आपकी रूचि गुप्त एवं रहस्यमयी विषयों में होती है। इस स्थिति में आप दर्शनशास्त्र में अभिरूचि लेते हैं इसी प्रकार जब यह निशान हथेली के मध्य होती है तब आप पूजा पाठ एवं अध्यात्म में रूचि लेते हैं आप अलसुलझे रहस्यो पर से पर्दा हटाने की कोशिश करते हैं अर्थात पराविज्ञान की ओर आकर्षित रहते हैं।
हस्त रेखा से भविष्य का आंकलन करने वाले कहते हैं गुणा का चिन्ह जब सूर्य पर्वत पर होता है तब आपको विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में आपकी आर्थिक दशा कमज़ोर रहती है आपके अंदर की कला का विकास सही से नहीं हो पाता है और न तो आपको प्रसिद्धि मिल पाती है। मंगल पर्वत पर बुध के नीचे अगर यह चिन्ह नज़र आ रहा है तो आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि इस स्थिति में आपको अपने शत्रुओं से काफी खतरा रहता है। इसी प्रकार मंगल पर्वत पर यह चिन्ह बृहस्पति के नीचे दिखाई दे रहा तो यह भी शुभ संकेत नहीं है इस स्थति आपको संघर्ष से बच कर रहना चाहिए अन्यथा आपकी जान को खतरा रहता है।
यह चिन्ह अगर शनि पार्वत पर हो और भाग्य रेखा को छू रहा हो तो यह समझना चाहिए कि दुर्घटना अथवा संघर्ष में जान का खतरा हो सकता है। शनि पर्वत के मध्य यह चिन्ह हो तब इसी तरह की घटना होने की संभावना और भी प्रबल हो जाती है। गुणा का चिन्ह जीवन रेखा पर होना जीवन के लिए घातक होता है, जीवन रेखा में जिस स्थान पर यह होता है उस स्थान पर प्राण को संकट रहता है। जीवन रेखा पर यह चिन्ह होने से आपके अपने करीबी रिश्तेदारों से अच्छे सम्बन्ध नहीं रहते हैं। शुक्र पर यह निशान एवं प्रेमी दोनों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
हथेली में मौजूद अन्य चिन्हों के प्रभाव के विषय में जानने के लिए आप हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह-2 देख सकते हैं।
नोट: आप कम्पयूटर द्वारा स्वयं जन्मकुण्डली, विवाह मिलान और वर्षफल का निर्माण कर सकते हैं. यह सुविधा होरोस्कोप एक्सप्लोरर में उपलब्ध है. आप इसका 45 दिनों तक मुफ्त उपयोग कर सकते हैं. कीमत 1250 रु. जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करे
त्रिकोण (Triangle)
आप श्रृंखला के पहले भाग में पढ़ चुके होंगे कि सभी चिन्ह शुभ नहीं होते हैं और न तो सभी अशुभ प्रभाव डालने वाले होते हैं। यहां हम जिस चिन्ह की बात कर रहे हैं वह चिन्ह हथेली में होना शुभता की निशानी होती है। इस चिन्ह को यानी त्रिकोण को श्रेष्ठ चिन्ह कहा गया है। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार अगर यह आपके हाथ में है तो आप भले ही आसमान को न छू पाएं परन्तु ज़मीन पर मजे में जीवन गुजार सकते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि इस चिन्ह से बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं मिलती है लेकिन यह बुरी स्थिति से भी बचाव करती है।
त्रिकोण चिन्ह साफ व स्पष्ट होने से आपकी सोचने समझने की क्षमता अच्छी रहती है व आपकी बुद्धि तेज चलती है। यह चिन्ह जिस स्थान पर होता है उस स्थान पर मौजूद ग्रह शक्तिशाली हो जाते हैं और आपको उस ग्रह से अनुकूलता प्राप्त होती है। यह चिन्ह जब अलग अलग पर्वत पर होता है तब कैसा फल मिलता है आइये अब इसे देखें। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार जब यह चिन्ह बृहस्पति पर होता है तब आपमें प्रबंधन की क्षमता बहुत ही अच्छी रहती है, आप किसी भी संस्था को सही तरह से चलाने में सक्षम होते हैं एवं जनसमुदाय को निर्देशित करने की योग्यता रखते हैं।
त्रिकोण का चिन्ह अगर सर्य पर्वत पर हो तो आप गंभीर स्वभाव के होते हैं व कला के क्षेत्र में अपने प्रयास एवं लगन से धीरे धीरे सफलता एवं प्रसिद्धि हासिल करते हैं। आपकी हथेली मे चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण का निशान होना इस बात का सूचक होता है कि आप आपकी कल्पना व आपकी सोच निराधार नहीं होती है। आप जो भी सोचते या कल्पना करते हैं उनका एक दृढ़ आधार होता है। त्रिकोण का चिन्ह मंगल पर्वत पर होने से आप संघर्ष की स्थिति से दूर रहते हैं अगर ऐसी स्थिति आ भी जाती है तो आप अपनी चतुराई एवं अक्लमंदी से स्थितियों को अपनी ओर कर लेते है, साथ ही आप कठिन घड़ी में भी अपने आप पर नियंत्रण बनाये रखने में सक्षम होते हें और संकट की स्थिति में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि यह चिन्ह जब बुध पर्वत पर होता है तब आप व्यापार, व्यवसाय एवं आर्थिक विषयों में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कामयाब होते हैं। शुक्र प्यार मुहब्बत का स्थान होता है, शुक्र पर्वत पर इस चिन्ह के होना प्रेम और प्रेमी दोनों के लिए ही शुभ माना जाता है। इस स्थान पर यह चिन्ह होने से आप अपने मन को काबू में रख पाने में सफल होते हैं अर्थात आपका अपने मन पर नियंत्रण होता है एवं आपमें सहनशीलता रहती है जो प्यार की कामयाबी के लिए आवश्यक कहा गया है।
आप अपनी हथेली को गौर से देखिये कहीं यह चिन्ह शनि पर्वत पर तो नहीं है। अगर शनि पर्वत पर यह चिन्ह है तो आपके विषय में यही कहा जा सकता है कि यह आपको गुप्त विद्याओं की ओर आकर्षित करेगा आप तंत्र, मंत्र, यंत्र के पुजारी होंगे। आप लोगों को अपनी चमत्कारी विद्याओ से चकित करने की चाहत रखेंगे।
चक्र (Circle):
हस्त रेखीय ज्योतिष में चक्र के निशान को शुभ नहीं माना गया है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत से सम्बन्धित फल की हानि करता है, अगर यह किसी पर्वत पर स्थित होकर किसी रेखा को छूता है तो जिस रेखा को यह छूता है उसके शुभ प्रभाव की हानि हो जाती है। यह भी कहा गया है कि अगर यह रेखा चन्द्र पर्वत पर हो तब आपको जलक्षेत्र से सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में आपको जल में डूबकर मरने की संभावना रहती है।
सूर्य पर्वत इस सम्बन्ध में अपवाद माना गया है। अगर यह चिन्ह सूर्य पर्वत पर होता है तो इसे अशुभ नहीं माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर यह सूर्य ग्रह से मिलने वाले फल की वृद्धि करता है और आपको सूर्य का शुभ प्रभाव दिलाता है।
वर्गाकार रेखा ( Square):
हथेली में वर्गाकार रेखा शुभ चिन्ह के रूप में जाता है। इस रेखा को रक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है क्योकि यह निशान आपको जीवन में आने वाली समस्याओं को सहने की ताकत देता है और आपके अंदर की क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप आने वाली किसी भी कठिनाई से लड़कर अपने आपको सामान्य स्थिति मे ले आते हैं। हथेली में मौजूद अलग अलग पर्वत पर इस चिन्ह का प्रभाव भी अलग होता है जैसे अगर यह चिन्ह गुरू पर्वत पर हो तो आप महत्वाकांक्षी होते हैं आपके सपने आसमान की बुलंदियों को छूते हैं।
सूर्य पर्वत पर यह निशान होने से आप लोकप्रियता और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्सुक होते हैं। आपकी हथेली में चन्द्र पर्वत पर अगर वर्ग का चिन्ह है तो आप बहुत अधिक कल्पनाशील होते हैं आप ख्वाबो व ख्यालों की दुनियां में खोये रहते हैं। मंगल पर्वत पर इस चिन्ह का होना इस बात का इशारा है कि आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए अन्यथा शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं। बुध पर्वत पर वर्गाकर निशान का होना मानसिक असंतुलन को दर्शाता है। इस स्थति के होने से आपका मन चचल रहता है, आप किसी एक विषय पर अपने मन को स्थिर नहीं कर पाते हैं।
शुक्र पर्वत पर यह चिन्ह उन स्थितियों में आपको बचाता है जब आप आवेग या जोश में आकर कोई कदम उठा लेते हैं और संकट में घिर जाते हैं। शनि पर्वत पर यह निशान शुभ नहीं माना जाता है। इस स्थान पर इस चिन्ह के होने से आपको जीवन में कई स्थानों पर आपको नुकसान या क्षति की स्थिति से गुजरना होता है।
जाल (Grille):
हथेली पर जालीनुमा निशान होना सामुद्रिक ज्योतिष की दृष्टि से शुभ नहीं है। यह निशान हथेली पर जहां भी होता है उस स्थान से सम्बन्धित फल को नष्ट कर देता है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस निशान के होने से आपको जीवन में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, अगर आपके हाथों में भी यह निशान है तो समझ लिये आपको कठिनायों पर विजय हासिल करने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना होगा। हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि अगर यह निशान अपोलो पर्वत पर हो तो आपको सफलता का स्वाद मुश्किल से मिलता है।
हथेली के विभिन्न पर्वत पर इस निशान का क्या प्रभाव होता है आइये इसे देखते हैं। अगर यह निशान गुरू पर्वत पर हो तो यह आपको घमंडी, अपने आपको बढ़ा चढ़ा कर दिखाने वाला और अहमवादी बनाता है। सूर्य पर्वत पर चिन्ह का होना बताता है कि आप झूठी प्रतिष्ठा के लिए दिखावा करते और आज्ञानियों वाला काम कर जाते हैं। चन्द्र पर्वत पर जालीनुमा निशान बताता है कि आप अंदर से व्याकुल, अस्थिर और वेचैन रहते हैं। अगर आप प्यार में दिवानगी की हद पार कर जाते हैं तो संभव है कि आपकी हथेली के शुक्र पर्वत पर जालीनुमा निशान मौजूद हो, क्योंकि इस स्थान पर जाली का होना यही बताता है। शनि पर्वत पर यह निशान आपको शारीरिक रूप से अस्वस्थ एवं कमज़ोर बनाता है साथ ही यह आपको दुखी रखता है।
हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह की पहली और दूसरी कड़ी आप पढ़ चुके हैं, कुछ और रोचक चिन्हों के विषय में जानने के लिए भाग तीन देखें।
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हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह-3 (Important Signs and symbols in Palmistry-3)
इस संसार रूपी सिनेमा के पर्दे पर हमारी भूमिका क्या रहेगी इसकी पूरी कहानी और पटकथा विधाता ने हमारी हथेली पर लिख कर हमें अपना पात्र निभाने के लिए धरती पर भेज दिया है। हथेली पर रेखाओं के साथ कुछ विशेष चिन्ह भी होते है जो काफी कुछ हमारे जीवन के विषय में बयान करते हैं। ये चिन्ह किसी रेखा पर हो सकता है तो किसी पर्वत पर स्थान के अनुसार इनका प्रभाव शुभ या अशुभ होता है। इस भाग में हम सबसे पहले जिस चिन्ह की बात करने जा रहे हैं वह है:
धब्बा (Spot):
हस्त रेखीय ज्योतिष में धब्बे के निशान को शुभ नहीं माना जाता है। यह निशान रोग और बीमारी को दर्शाता है। अलग अलग व्यक्ति के हाथों में यह निशान अलग अलग रंग के होते हैं। धब्बो के निशान और इनका रंग दोनों ही सामुद्रिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ज्योतिष की इस विधा में बताया गया है कि लाल रंग का यह निशान मस्तिष्क रेखा पर मौजूद हो तो यह इस बात का संकेत है कि आपको चोट लग सकती है अथवा शरीर का कोई अंग गिरने या आघात लगने के कारण क्षतिग्रस्त हो सकता है। यह निशान स्वास्थ्य रेखा पर होना यह बताता है कि आप बुखार एवं कुछ शारीरिक रोग से पीड़ित होंगे। नीला और काला धब्बा हथेली पर होना इस बात का सूचक है कि आप तंत्रिक तंत्र (Nervous System) में परेशानी महसूस करेंगे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जीवन रेखा पर जहां जहां यह धब्बा होता है उस उम्र में आप रोगग्रस्त रहते हैं।
त्रिशूल (Trident ):
त्रिशूल का चिन्ह हथेली में होना बहुत ही शुभ होता है। यइ निशान जिस रेखा के शुरू में होता है उस रेखा की गुणवत्ता एवं प्रभाव में वृद्धि होती है और आपको इसका शुभ फल प्राप्त होता है। यह जिस रेखा पर होता है उस रेखा का प्रभाव तो बढ़ता ही साथ ही जिस रेखा की ओर इसका सिरा होता होता है वह भी शक्तिशाली एवं प्रभावशाली हो जाता है। त्रिशूल का निशान सामुद्रिक ज्योतिष में अति उत्तम कहा गया है यह जिस पर्वत पर होता है वह पर्वत काफी फलदायी होता है साथ ही उसके समीप के पर्वत भी उत्तमता प्रदान करने वाले हो जाते हैं। यह निशान मंगल पर्वत पर होने से शिवयोग बनता है जो आपको परोपकारी , धनवान, गुणवान एवं प्रतिष्ठा प्रदान करता है।
छतरी (Tent):
कुछ लोगों के हाथों की उंगली में छतरीनुमा निशान बना होता है। जिनकी उंगली में ऐसे निशान पाए जाते हैं वे व्यक्ति दयालु होते हैं, लोगों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। इनकी उदारता व परोपकार की भावना का लोग अनुचित फायदा भी उठाते हैं। ये अपनी कला से जीवन में कामयाब होते हैं परंतु इनका पारिवारिक जीवन कठिनाईयों एवं मुश्किलों का घर रहता है।
लटकन ( Tassel):
यह आम तौर पर जीवन रेखा के अंतिम सिरे पर होता है जो बताता है कि वृद्धावस्था में होने वाले कष्ट और मृत्यु के विषय में बताता है। यह निशान अगर जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा के साथ लगकर बना हुआ है तो बुढ़ापे में आपकी याददाश्त कमज़ोर होगी। अगर यह निशान हृदय रेखा पर दिखाई दे रहा है तो यह इस बात का सूचक है कि दिल की हालत अच्छी नहीं रहेगी। हृदय पर लगने वाले आघात के कारण मानसिक रूप से विचलित और परेशान रहेंगे।
स्वास्तिक (Swastik):
शास्त्रों में स्वास्तिक को शुभ चिन्ह के रूप में दर्शाया गया है। सामुद्रिक ज्योतिष भी इसे शुभ चिन्ह के रूप में मान्यता देता है। सामुद्रिक ज्योतिष के अनुसार जिनकी हथेली पर स्वास्तिक का चिन्ह होता है वे बहुत ही भाग्यशाली होते हैं। अपनी हथेली को गौर से देखिये अगर आपकी हथेली पर भी यह चिन्ह तो समझ लीजिए की आप धनवान होंगे और दुनियां में काफी मान प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे।
कमल (Lotus):
कमल चिन्ह भी स्वास्तिक की भांति शुभ माना गया है, इसे भगवान विष्णु का चिन्ह कहा गया है। हथेली पर यह निशान विष्णु योग कहलाता है। जिनके हाथों में यह निशान पाया जाता है वे भाग्यवान होते हैं, उन पर भगवान विष्णु की कृपा रहती है। विष्णु को शास्त्रों में पालनकर्ता के रूप में सम्बोधित किया गया है। जिस पर इनकी कृपा होती है वे हर प्रकार के सांसारिक सुख एवं मान प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। आपकी हथेली पर यह चिन्ह होने से आप वाक्पटु होते हैं और कुशल वक्ता के रूप में जाने जाते हैं साथ ही नेतृत्व में माहिर होते हैं।
तराजू (Weigh Scale):
आप धनवान बनना चाहते हैं तो देखिये आपकी हथेली में तराजू का निशान है या नहीं। सामुद्रिक ज्योतिष में इस निशान को बहुत ही शुभ कहा गया है। इस निशान का होना यह बताता है कि आप पर देवी लक्ष्मी की कृपा है। यह निशान हाथ में लक्ष्मी योग बनाता है जिससे आपको काफी धन और सुख सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।
इन चिन्हों के अलावा भी कई चिन्ह हाथों में पाये जाते हैं जिनमें सूर्य और हाथी का निशान शुभ कहलाता है। हाथी का निशान शुक्र पर्वत पर होने से ब्रह्म योग बनता है जिनके प्रभाव से व्यक्ति ज्ञानी, बुद्धिमान, चतुर और कुशल वक्ता बनता है।
आप "हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह" इस शीर्षक के प्रथम, द्वितीय और तृतीय तीनों भाग को आप पढ़ चुके हैं और हाथों में पाये जाने वाले विभिन्न निशानों और चिन्हों का क्या फल होता है इसकी अच्छी जानकारी आपको हो गयी है।
नोट: आप कम्पयूटर द्वारा स्वयं जन्मकुण्डली, विवाह मिलान और वर्षफल का निर्माण कर सकते हैं. यह सुविधा होरोस्कोप एक्सप्लोरर में उपलब्ध है. आप इसका 45 दिनों तक मुफ्त उपयोग कर सकते हैं. कीमत 1250 रु. जानकारी के लिये यहाँ क्लिक करे
हस्तरेखा में शनि रेखा का प्रभाव-दुष्प्रभाव
आकाश में भ्रमण कर रहे शनि ग्रह की रेखा भी विशिष्ट है। यह बल्यधारी ग्रह अपने नीलाभवर्ण और चतुर्दिक मुद्रिका-कार आभायुक्त बलय के कारण बहुत ही शोभन प्रतीत होता है। यह ग्रह अपनी अशुभ स्थिति में मनुष्य को ढाई वर्ष, साढे सात वर्ष, अथवा उन्नीस वर्षों तक अत्यधिक पीडा देता है परंतु शुभ स्थिति में यह ग्रह उतना ही वैभवदाता, रक्षाकारी और संपन्नतावर्धक रूप धारण कर लेता हैं, जन्मकुंडली की भांति मानव हथेलियों पर भी शनि ग्रह की स्थिति होती है। शनि-पर्वत की स्थिति, आकार उभार और समीपवर्ती पर्वतों की संगति के भेद से शुभाशुभ एवं अशुभ दोनों प्रकार के फल का अनुमान लगाया जा सकता है।
आकाश में भम्रमण कर रहे शनि ग्रह की रेखा भी विशिष्ट है। यह बल्यधारी ग्रह अपने नीलाभवर्ण और चतुर्दिक मुद्रिका-कार आभायुक्त बलय के कारण बहुत ही शोभन प्रतीत होता है। यह ग्रह अपनी अशुभ स्थिति में मनुष्य को ढाई वर्ष, साढे सात वर्ष, अथवा उन्नीस वर्षों तक अत्यधिक पीडा देता है परंतु शुभ स्थिति में यह ग्रह उतना ही वैभवदाता, रक्षाकारी और संपन्नतावर्धक रूप धारण कर लेता हैं, जन्मकुंडली की भांति मानव हथेलियों पर भी शनि ग्रह की स्थिति होती है। शनि-पर्वत की स्थिति, आकार उभार और समीपवर्ती पर्वतों की संगति के भेद से शुभाशुभ एवं अशुभ दोनों प्रकार के फल का अनुमान लगाया जा सकता है।
हस्तरेखा में ‘शनि रेखा’ का
प्रभाव-दुष्प्रभाव
मध्यमा अंगुली के नीचे शनि पर्वत का स्थान है। यह पर्वत बहुत भाग्यशाली मनुष्यों के हाथों में ही विकसित अवस्था में देखा गया है। शनि की शक्ति का अनुमान मध्यमा की लम्बाई और गठन में देखकर ही लगाया जा सकता है, यदि वह लम्बीं और सीधी है तथा गुरु और शुईद्भ की अंगुलियां उसकी ओर झुक रही हैं तो मनुष्य के स्वभाव और चरित्र में शनिग्रहों के गुणों की प्रधानता होगी। ये गुण हैं-स्वाधीनता, बुद्धिमता, अध्ययनशीलता, गंभीरता, सहनशीलता, विनम्रता और अनुसंधान तथा इसके साथ अंतर्मुखी, अकेलापन। शनि के दुर्गुणों की सूची भी छोटी नहीं है, विषाद नैराश्य, अज्ञान, ईर्ष्या, अंधविश्वास आदि इसमें सम्मिलित हैं। अतः शनि ग्रह से प्रभावित मनुष्य के शारीरिक गठन को बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसे मनुष्य कद में असामान्य रूप में लम्बे होते हैं, उनका शरीर सुसंगठित लेकिन सिर पर बाल कम होते हैं। लम्बे चेहरे पर अविश्वास और संदेह से भरी उनकी गहरी और छोटी आंखें हमेशा उदास रहती हैं। यद्यपि उत्तोजना, क्रोध और घृणा को वह छिपा नहीं पाते।
इस पर्वत के अभाव होने से मनुष्य अपने जीवन में अधिक सफलता या सम्मान नहीं प्राप्त कर पाता। मध्यमा अंगुली भाग्य की देवी है। भाग्यरेखा की समाप्ति प्रायः इसी अंगुली की मूल में होती है। पूर्ण विकसित शनि पर्वत वाला मनुष्य प्रबल भाग्यवान होता है। ऐसे मनुष्य जीवन में अपने प्रयत्नों से बहुत अधिक उन्नति प्राप्त करते हैं। शुभ शनि पर्वत प्रधान मनुष्य, इंजीनियर, वैज्ञानिक, जादूगर, साहित्यकार, ज्योतिषी, कृषक अथवा रसायन शास्त्री होते हैं। शुभ शनि पर्वत वाले स्त्री-पुरुष प्रायः अपने माता-पिता के एकलौता संतान होते हैं तथा उनके जीवन में प्रेम का सर्वोपरि महत्व होता है। बूढापे तक प्रेम में उनकी रुचि बनी रहती है, किंतु इससे अधिक आनंद उन्हें प्रेम का नाटक रचने में आता है। उनका यह नाटक छोटी आयु से ही प्रारंभ हो जाता है। वे स्वभाव से संतोषी और कंजूस होते हैं। कला क्षेत्रों में इनकी रुचि संगीत में विशेष होती है। यदि वह लेखक हैं तो धार्मिक रहस्यवाद उनके लेखन का विषय होता है।
अविकसित शनि पर्वत होने पर मनुष्य एकांत प्रिय अपने कार्यों अथवा लक्ष्य में इतना तनमय हो जाते हैं कि घर-गृहस्थी की चिंता नहीं करते ऐसा मनुष्य चिड-चिडे और शंकालु स्वभाव के हो जाते हैं, तथा उनके शरीर में रक्त वितरण कमजोर होता है। उनके हाथ-पैर ठंडे होते हैं, और उनके दांत काफी कमजोर हुआ करते हैं। दुघर्टनाओं में अधिकतर उनके पैरों और नीचे के अंगों में चोट लगती है। वे अधिकतर निर्बल स्वास्थ्य के होते हैं। यदि हृदय रेखा भी जंजीरा कार हो तो मनुष्य की वाहन दुर्घटना में मृत्यु भी हो जाती है।
शनि के क्षेत्र पर भाग्य रेखा कही जाने वाली शनि रेखा समाप्त होती है। इस पर शनिवलय भी पायी जाती है और शुक्रवलय इस पर्वत को घेरती हुई निकलती है। इसके अतिरिक्त हृदय रेखा इसकी निचली सीमा को छूती हैं। इन महत्वपूर्ण रेखाओं के अतिरिक्त इस पर्वत पर एक रेखा जहां सौभाग्य सूचक है। यदि रेखायें गुरु की पर्वत की ओर जा रही हों तो मनुष्य को सार्वजनिक मान-सम्मान प्राप्त होता है। इस पर्वत पर बिन्दु जहां दुर्घटना सूचक चिन्ह है वही क्रांस मनुष्य को संतति उत्पादन की क्षमता को विहीन करता है। नक्षत्र की उपस्थिति उसे हत्या या आत्महत्या की ओर प्रेरित कर सकती है। वृत का होना इस पर्वत पर शुभ होता है और वर्ग का चिन्ह होना अत्यधिक शुभ लक्षण है। ये घटनाओं और शत्रुओं से बचाव के लिए सुरक्षा सूचक है, जबकि जाल होना अत्यधिक दुर्भाग्य का लक्षण है।
यदि शनि पर्वत अत्यधिक विकसित होता है तो मनुष्य २२ या ४५ वर्षों की उम्रों में निश्चित अत्महत्या कर लेता है। डाकू, ठग, अपराधी मनुष्यों के हाथों में यह पर्वत बहुत विकसित पाया जाता है जो साधारणतः पीलापन लिये होता है। उनकी हथेलियां तथा चमडी भी पीली होती है और स्वभाव म चिडचिडापन झलकता रहता हैं। यह पर्वत अनुकूल स्थिति में सुरक्षा, संपत्ति, प्रभाव, बल पद-प्रतिष्ठा और व्यवसाय प्रदान करता है, परंतु विपरीत गति होने पर इन समस्त सुख साधनों को नष्ट करके घोर संत्रास्तदायक रूप धारण कर लेता है। यदि इस पर्वत पर त्रिकोण जैसी आकृति हो तो मनुष्य गुप्तविधाओं में रुचि, विज्ञान, अनुसंधान, ज्योतिष, तंत्र-मंत्र सम्मोहन आदि में गहन रुचि रखता है और इस विषय का ज्ञाता होता है। इस पर्वत पर मंदिर का चिन्ह भी हो ते मनुष्य प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के रूप में प्रकट होते हैं और यह चिन्ह राजयोग कारक माना जाता है। यह चिन्ह जिस किसी की हथेलियों के पर्वत पर उत्पन्न होते हैं, वह किसी भी उम्रों में ही वह मनुष्य लाखों-करोडों के स्वामी होते हैं। यदि इस पर्वत पर त्रिशूल जैसी आकृतियां हो तो वह मनुष्य एका-एक सन्यासी बन जाते हैं। यह वैराग्य सूचक चिन्ह है। इसके अलावा शनि का प्रभाव कभी शुरुआत काल में भाग्यवान बनाता है तो कभी जब शनि का प्रभाव समाप्त होता है तब। शनि की दशा शांति करने हित शनिवार को
पीपल के नीचे दीपक जलाना चाहिए व हनुमान जी की पूजा-उपासना करना चाहिए।
पीपल के नीचे दीपक जलाना चाहिए व हनुमान जी की पूजा-उपासना करना चाहिए।
हस्तरेखा: जीवन रेखा
जीवन रेखा ही हमारी आयु,
बीमारी और जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को बताती है। जीवन रेखा से किसी भी व्यक्ति के व्यवहार, आचार-विचार की सही-सही जानकारी प्राप्त हो सकती है। हस्तरेखा में सबसे महत्वपूर्ण रेखा जीवन रेखा मानी गई है।
जीवन रेखा गुरु पर्वत (इंडेक्स फींगर के नीचे के भाग को गुरु पर्वत कहते हैं।) के नीचे हथेली के प्रारंभ से शुरू होती है। जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र (अंगूठे के नीचे का भाग) को घेरते हुए मणिबंध की ओर जाती है।
- लंबी, गहरी, पतली, बिना टूट-फूट की क्रास-चिह्न रहित तथा दोष-हीन जीवन रेखा व्यक्ति के लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाती है।
- यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है।
- यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य अधिक अंतर हो तो व्यक्ति बिना सोच-विचार के कार्य करने वाला होता है।
- यदि जीवन रेखा दोनों हाथों में टूटी हुई हो तो वह व्यक्ति की असमय मृत्यु को दर्शाती है। परंतु यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो तो वह व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
- यदि जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा तीनों प्रारंभ में मिली हुई हो तो व्यक्ति भाग्यहीन, दुर्बल और परेशानियों से घिरा होता है।
- जीवन रेखा जहां-जहां श्रृंखलाकार होगी उस आयु में व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
- यदि जीवन रेखा को कई छोटी-छोटी रेखाएं काटती हुई नीचे की ओर जाती हो तो व्यक्ति के जीवन में परेशानियों को दर्शाती हैं। यदि इस तरह की रेखाएं ऊपर की ओर जा रही हो तो व्यक्ति को सफलताएं प्राप्त होती है।
- यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अति महत्वकांशी होता है।
- यदि जीवन रेखा अंत में दो भागों में विभाजित हो गई हो तो व्यक्ति की मृत्यु जन्म स्थान से दूर होती है।
- जीवन रेखा पर वर्ग चिह्न व्यक्ति के जीवन की रक्षा करते हैं। जबकि अन्य चिह्न रोग का सूचक होते हैं।
- यदि किसी स्त्री के हाथों में मंगल क्षेत्र (हथेली के मध्य क्षेत्र को मंगल क्षेत्र कहते हैं) से निकल कर छोटी-छोटी रेखाएं जीवन रेखा का स्पर्श करे तो वह उस स्त्री के किसी पुरुष के साथ अवैध संबंध को दर्शाती है। इस रिश्ते की वजह से उस स्त्री को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- आयु के संबंध में जीवन रेखा के साथ स्वास्थ्य रेखा, हृदय रेखा, मस्तिस्क रेखा और अन्य छोटी-छोटी रेखाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। .
जीवन रेखा ही हमारी आयु,
बीमारी और जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को बताती है। जीवन रेखा से किसी भी व्यक्ति के व्यवहार, आचार-विचार की सही-सही जानकारी प्राप्त हो सकती है। हस्तरेखा में सबसे महत्वपूर्ण रेखा जीवन रेखा मानी गई है।
जीवन रेखा गुरु पर्वत (इंडेक्स फींगर के नीचे के भाग को गुरु पर्वत कहते हैं।) के नीचे हथेली के प्रारंभ से शुरू होती है। जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र (अंगूठे के नीचे का भाग) को घेरते हुए मणिबंध की ओर जाती है।
- लंबी, गहरी, पतली, बिना टूट-फूट की क्रास-चिह्न रहित तथा दोष-हीन जीवन रेखा व्यक्ति के लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाती है।
- यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है।
- यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य अधिक अंतर हो तो व्यक्ति बिना सोच-विचार के कार्य करने वाला होता है।
- यदि जीवन रेखा दोनों हाथों में टूटी हुई हो तो वह व्यक्ति की असमय मृत्यु को दर्शाती है। परंतु यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो तो वह व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
- यदि जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा तीनों प्रारंभ में मिली हुई हो तो व्यक्ति भाग्यहीन, दुर्बल और परेशानियों से घिरा होता है।
- जीवन रेखा जहां-जहां श्रृंखलाकार होगी उस आयु में व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
- यदि जीवन रेखा को कई छोटी-छोटी रेखाएं काटती हुई नीचे की ओर जाती हो तो व्यक्ति के जीवन में परेशानियों को दर्शाती हैं। यदि इस तरह की रेखाएं ऊपर की ओर जा रही हो तो व्यक्ति को सफलताएं प्राप्त होती है।
- यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अति महत्वकांशी होता है।
- यदि जीवन रेखा अंत में दो भागों में विभाजित हो गई हो तो व्यक्ति की मृत्यु जन्म स्थान से दूर होती है।
- जीवन रेखा पर वर्ग चिह्न व्यक्ति के जीवन की रक्षा करते हैं। जबकि अन्य चिह्न रोग का सूचक होते हैं।
- यदि किसी स्त्री के हाथों में मंगल क्षेत्र (हथेली के मध्य क्षेत्र को मंगल क्षेत्र कहते हैं) से निकल कर छोटी-छोटी रेखाएं जीवन रेखा का स्पर्श करे तो वह उस स्त्री के किसी पुरुष के साथ अवैध संबंध को दर्शाती है। इस रिश्ते की वजह से उस स्त्री को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- आयु के संबंध में जीवन रेखा के साथ स्वास्थ्य रेखा, हृदय रेखा, मस्तिस्क रेखा और अन्य छोटी-छोटी रेखाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए। .
हृदय रेखा: दिल का हाल बताती है
हस्त रेखाओं में हृदय रेखा व्यक्ति की सोच, उसके दिल का हाल बताती है। इस रेखा से व्यक्ति मन की सही-सही स्थिति मालमू हो जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हृदय रेखा किसी के हाथों में बृहस्पति क्षेत्र के मध्य से, किसी की तर्जनी उंगली के यहां से और किसी के हाथों में मध्यमा उंगली के यहां से प्रारंभ होकर बुध क्षेत्र सबसे छोटी उंगली की ओर तक हथेली पार कर जाती है।
- यदि हृदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र (तर्जनी उंगली (पदकमÛ पिदहमत) के नीचे की ओर) से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति दृढ़ निश्चयी, आदर्श वादी, सच्चा प्रेमी होता है।
- यदि हृदय रेखा तर्जनी के एकदम नीचे से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अपने प्रेम में पागल हो जाता है।
- यदि हृदय रेखा मध्यमा एवं तर्जनी उंगली के मध्य से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति शांत एवं सच्चे मन का होता है। अपने प्रेमी के बैचेन रहते हैं।
- यदि रेखा शनि क्षेत्र (मध्यमा उंगली के नीचे) से प्रारंभ हुई हो तो जातक का प्रेम वासनात्मक होता है। ऐसा व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वार्थी होता है।
- यदि हृदय रेखा अधिक लंबी हो अर्थात् हथेली के एक ओर से दूसरी ओर तक हो तो ऐसा व्यक्ति भावुक और ईष्र्या की प्रवृत्ति वाला होता है।
- यदि हृदय रेखा पर नीचे की ओर से कई रेखाएं गिर रही हों तो व्यक्ति व्यभिचारी होता है और वह चारो ओर प्रेम जाल फेंकता है। किसी से सच्चा प्रेम नहीं करता।
- यदि हृदय रेखा गहरी लाल रंग की हो तो व्यक्ति हिंसात्मक एवं बलात्कारी भी हो सकता है।
- पतली एवं हल्के रंग की रेखा वाला जातक नीरस स्वभाव का होता है।
- यदि हृदय रेखा टूटी हुई हो तो व्यक्ति का प्रेम संबंध टूट जाता है।
- यदि हृदय रेखा समाप्ति स्थल बुध क्षेत्र पर श्रंखलाकार ना हो तो व्यक्ति संतान उत्पन्न करने में अक्षम होता है।
- यदि हृदय रेखा की निकली हुई रेखाएं मस्तिष्क रेखा तक जाती हो तो व्यक्ति के हृदय संबंधी विचारों पर मस्तिष्क का प्रभाव पड़ता है।
- यदि किसी के हाथ में हृदय रेखा ना हो या बहुत छोटी हो तो वह व्यक्ति प्रेम संबंध स्थापित नहीं कर पाता।
- यदि किसी व्यक्ति के हाथ में दो हृदय रेखा दोष रहित हो तो वह भगवान का सच्चा भक्त होता है।
- यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा दोनों रेखाएं हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक हो तो वह व्यक्ति किसी की परवाह नहीं करते।
ध्यान रहे हृदय रेखा का अवलोकन करते समय शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे का क्षेत्र) का भी अच्छे से अवलोकन करना होता है। शुक्र पर्वत व्यक्ति के मन की कामुक एवं प्रेम प्रवृत्तियों से संबंधित है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हृदय रेखा किसी के हाथों में बृहस्पति क्षेत्र के मध्य से, किसी की तर्जनी उंगली के यहां से और किसी के हाथों में मध्यमा उंगली के यहां से प्रारंभ होकर बुध क्षेत्र सबसे छोटी उंगली की ओर तक हथेली पार कर जाती है।
- यदि हृदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र (तर्जनी उंगली (पदकमÛ पिदहमत) के नीचे की ओर) से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति दृढ़ निश्चयी, आदर्श वादी, सच्चा प्रेमी होता है।
- यदि हृदय रेखा तर्जनी के एकदम नीचे से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अपने प्रेम में पागल हो जाता है।
- यदि हृदय रेखा मध्यमा एवं तर्जनी उंगली के मध्य से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति शांत एवं सच्चे मन का होता है। अपने प्रेमी के बैचेन रहते हैं।
- यदि रेखा शनि क्षेत्र (मध्यमा उंगली के नीचे) से प्रारंभ हुई हो तो जातक का प्रेम वासनात्मक होता है। ऐसा व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वार्थी होता है।
- यदि हृदय रेखा अधिक लंबी हो अर्थात् हथेली के एक ओर से दूसरी ओर तक हो तो ऐसा व्यक्ति भावुक और ईष्र्या की प्रवृत्ति वाला होता है।
- यदि हृदय रेखा पर नीचे की ओर से कई रेखाएं गिर रही हों तो व्यक्ति व्यभिचारी होता है और वह चारो ओर प्रेम जाल फेंकता है। किसी से सच्चा प्रेम नहीं करता।
- यदि हृदय रेखा गहरी लाल रंग की हो तो व्यक्ति हिंसात्मक एवं बलात्कारी भी हो सकता है।
- पतली एवं हल्के रंग की रेखा वाला जातक नीरस स्वभाव का होता है।
- यदि हृदय रेखा टूटी हुई हो तो व्यक्ति का प्रेम संबंध टूट जाता है।
- यदि हृदय रेखा समाप्ति स्थल बुध क्षेत्र पर श्रंखलाकार ना हो तो व्यक्ति संतान उत्पन्न करने में अक्षम होता है।
- यदि हृदय रेखा की निकली हुई रेखाएं मस्तिष्क रेखा तक जाती हो तो व्यक्ति के हृदय संबंधी विचारों पर मस्तिष्क का प्रभाव पड़ता है।
- यदि किसी के हाथ में हृदय रेखा ना हो या बहुत छोटी हो तो वह व्यक्ति प्रेम संबंध स्थापित नहीं कर पाता।
- यदि किसी व्यक्ति के हाथ में दो हृदय रेखा दोष रहित हो तो वह भगवान का सच्चा भक्त होता है।
- यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा दोनों रेखाएं हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक हो तो वह व्यक्ति किसी की परवाह नहीं करते।
ध्यान रहे हृदय रेखा का अवलोकन करते समय शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे का क्षेत्र) का भी अच्छे से अवलोकन करना होता है। शुक्र पर्वत व्यक्ति के मन की कामुक एवं प्रेम प्रवृत्तियों से संबंधित है।
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हस्तरेखा से जानिए अपना भाग्य (Know your fortune through Palmistry)
Principles of Palmistryगर्भावस्था के दौरान ही शिशु के हाथ में लकीरो का जाल बुन जाता है, जो कि जन्म से लेकर मृत्यु तक रेखाओ के रुप में विद्यमान रहता है। इसे हस्त रेखा (Palm line) के रुप में जाना जाता है। सामान्यतया 16 वर्ष तक की आयु के बच्चो की हाथों की रेखाओ में परिवर्तन होता रहता है।
सोलह वर्ष की आयु होने पर मुख्य रेखाएँ (जीवन रेखा, भाग्य रेखा इत्यादि) (Life line, Fortune line) स्थिर हो जाती है तथा कर्मो के अनुसार अन्य छोटे-बडे परिवर्तन होते रहते हैं। तथा ये परिवर्तन जीवन के अंतिम क्षण तक होते रहते हैं (Life line keep on changing throughout life)।
चूंकि हस्त रेखा (Samudrik Shastra)
विज्ञान कर्मो के आधार पर टिका है, इसलिए मनुष्य जैसे कर्म करता है वैसा ही परिवर्तन उसके हाथ की रेखाओ में हो जाता है (Palmistry stand by our work, palm line change with them)। हाथ का विश्लेषण करते समय सबसे पहले हम हाथ की बनावट को देखते हैं तत्पश्चात यह देखा जाता है कि हाथ मुलायम है या सख्त।आम तौर पर पुरुषो का दायाँ हाथ तथा स्त्रियों का बायाँ हाथ देखा जाता है।यदि कोइ पुरुष बायें हाथ से काम करता है तो उसका बायाँ हाथ देखा जाता है। हाथ में जितनी कम रेखाऎं होती हैं, भाग्य की दृष्टि से हाथ उतना ही सुन्दर माना जाता है (Lots of Palm line are not good for Fortune)।
हाथ में मुख्यतः चार रेखाओ का उभार स्पष्ट रुप से रहता है( We can see four main line in palm)
जीवन रेखा (Life Line)
जीवन रेखा हृदय रेखा के ऊपरी भाग से शुरु होकर आमतौर पर मणिबन्ध पर जाकर समाप्त हो जाती है (Life line start from heart line and end on Manibandh line)। यह रेखा भाग्य रेखा के समानान्तर चलती है, परन्तु कुछ व्यक्तियो की हथेली में जीवन रेखा हृदय रेखा में से निकलकर भाग्य रेखा में किसी भी बिन्दु पर मिल जाती है।जीवन रेखा तभी उत्तम मानी जाती है यदि उसे कोइ अन्य रेखा न काट रही हो तथा वह लम्बी हो इसका अर्थ है कि व्यक्ति की आयु लम्बी होगी तथा अधिकतर जीवन सुखमय बीतेगा। रेखा छोटी तथा कटी होने पर आयु कम एंव जीवन संघर्षमय होगा(If there is breakage in life line or there is any cut it means your life is short and in struggle)।
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भाग्य रेखा:(Fate Line)
हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाने वाली सीधी रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं (Straight Line start from middle of heart and end on Manibandh line called fate line) ।स्पष्ट रुप से दिखाई देने वाली रेखा उत्तम भाग्य का घौतक है।यदि भाग्य रेखा को कोइ अन्य रेखा न काटती हो तो भाग्य में किसी प्रकार की रुकावट नही आती।परन्तु यदि जिस बिन्दु पर रेखा भाग्य को काटती है तो उसी वर्ष व्यक्ति को भाग्य की हानि होती है।कुछ लोगो के हाथ में जीवन रेखा एंव भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है।इस स्थिति में वह व्यक्ति आसाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का भाग्यशाली होता है (If there is no fortune line on your palm it means you are not a middle class)। ऎसा व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन कभी नहीं जीता है।
हृदय रेखा: (Heart Line)
हथेली के मध्य में एक भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा को हृदय रेखा कहते हैं (Vertical line starts from middle of palm and end on heart line called heart line)। यदि हृदय रेखा एकदम सीधी या थोडा सा घुमाव लेकर जाती है तो वह व्यक्ति को निष्कपट बनाती है। यदि हृदय रेखा लहराती हुई चलती है तो वह व्यक्ति हृदय से पीडित रहता है।यदि रेखा टूटी हुई हो या उस पर कोइ निशान हो तो व्यक्ति को हृदयाघात हो सकता है(There is Chance of heart attack if heart line is break)।
मस्तिष्क रेखा:(Brain Line)
हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक उंगलियो के पर्वतो तथा हृदय रेखा के समानान्तर जाने वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं (Parallel line to heart line is called mind line)। यह आवश्यक नहीं कि मस्तिष्क रेखा एक छोर से दूसरे छोर तक (हथेली) जायें, यह बीच में ही किसी भी पर्वत (Planetary Mounts) की ओर मुड सकती है। यदि हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा आपस में न मिलें तो उत्तम रहता है (Brain line is good if mind line or heart line are not together)। स्पष्ट एंव बाधा रहित रेखा उत्तम मानी जाती है। कई बार मस्तिष्क रेखा एक छोर पर दो भागों में विभाजित हो जाती है। ऎसी रेखा वाला व्यक्ति स्थिर स्वभाव का नहीं होता है, सदा भ्रमित रहता है।
लाल किताब में सामुद्रिक ज्ञान यानी पामिस्ट्रि (Palmistry) के आधार पर व्यक्ति की जन्मकुण्डली का निर्माण होता है, तथा जिन व्यक्तियो को अपनी जन्मतिथि तथा जन्म समय मालूम नही उनके लिए लाल किताब बहुत लाभकारी है।
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सोलह वर्ष की आयु होने पर मुख्य रेखाएँ (जीवन रेखा, भाग्य रेखा इत्यादि) (Life line, Fortune line) स्थिर हो जाती है तथा कर्मो के अनुसार अन्य छोटे-बडे परिवर्तन होते रहते हैं। तथा ये परिवर्तन जीवन के अंतिम क्षण तक होते रहते हैं (Life line keep on changing throughout life)।
चूंकि हस्त रेखा (Samudrik Shastra)
विज्ञान कर्मो के आधार पर टिका है, इसलिए मनुष्य जैसे कर्म करता है वैसा ही परिवर्तन उसके हाथ की रेखाओ में हो जाता है (Palmistry stand by our work, palm line change with them)। हाथ का विश्लेषण करते समय सबसे पहले हम हाथ की बनावट को देखते हैं तत्पश्चात यह देखा जाता है कि हाथ मुलायम है या सख्त।आम तौर पर पुरुषो का दायाँ हाथ तथा स्त्रियों का बायाँ हाथ देखा जाता है।यदि कोइ पुरुष बायें हाथ से काम करता है तो उसका बायाँ हाथ देखा जाता है। हाथ में जितनी कम रेखाऎं होती हैं, भाग्य की दृष्टि से हाथ उतना ही सुन्दर माना जाता है (Lots of Palm line are not good for Fortune)।
हाथ में मुख्यतः चार रेखाओ का उभार स्पष्ट रुप से रहता है( We can see four main line in palm)
जीवन रेखा (Life Line)
जीवन रेखा हृदय रेखा के ऊपरी भाग से शुरु होकर आमतौर पर मणिबन्ध पर जाकर समाप्त हो जाती है (Life line start from heart line and end on Manibandh line)। यह रेखा भाग्य रेखा के समानान्तर चलती है, परन्तु कुछ व्यक्तियो की हथेली में जीवन रेखा हृदय रेखा में से निकलकर भाग्य रेखा में किसी भी बिन्दु पर मिल जाती है।जीवन रेखा तभी उत्तम मानी जाती है यदि उसे कोइ अन्य रेखा न काट रही हो तथा वह लम्बी हो इसका अर्थ है कि व्यक्ति की आयु लम्बी होगी तथा अधिकतर जीवन सुखमय बीतेगा। रेखा छोटी तथा कटी होने पर आयु कम एंव जीवन संघर्षमय होगा(If there is breakage in life line or there is any cut it means your life is short and in struggle)।
भाग्य रेखा:(Fate Line)इन्हें भी पढ़ें
हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाने वाली सीधी रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं (Straight Line start from middle of heart and end on Manibandh line called fate line) ।स्पष्ट रुप से दिखाई देने वाली रेखा उत्तम भाग्य का घौतक है।यदि भाग्य रेखा को कोइ अन्य रेखा न काटती हो तो भाग्य में किसी प्रकार की रुकावट नही आती।परन्तु यदि जिस बिन्दु पर रेखा भाग्य को काटती है तो उसी वर्ष व्यक्ति को भाग्य की हानि होती है।कुछ लोगो के हाथ में जीवन रेखा एंव भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है।इस स्थिति में वह व्यक्ति आसाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का भाग्यशाली होता है (If there is no fortune line on your palm it means you are not a middle class)। ऎसा व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन कभी नहीं जीता है।
हृदय रेखा: (Heart Line)
हथेली के मध्य में एक भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा को हृदय रेखा कहते हैं (Vertical line starts from middle of palm and end on heart line called heart line)। यदि हृदय रेखा एकदम सीधी या थोडा सा घुमाव लेकर जाती है तो वह व्यक्ति को निष्कपट बनाती है। यदि हृदय रेखा लहराती हुई चलती है तो वह व्यक्ति हृदय से पीडित रहता है।यदि रेखा टूटी हुई हो या उस पर कोइ निशान हो तो व्यक्ति को हृदयाघात हो सकता है(There is Chance of heart attack if heart line is break)।
मस्तिष्क रेखा:(Brain Line)
हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक उंगलियो के पर्वतो तथा हृदय रेखा के समानान्तर जाने वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं (Parallel line to heart line is called mind line)। यह आवश्यक नहीं कि मस्तिष्क रेखा एक छोर से दूसरे छोर तक (हथेली) जायें, यह बीच में ही किसी भी पर्वत (Planetary Mounts) की ओर मुड सकती है। यदि हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा आपस में न मिलें तो उत्तम रहता है (Brain line is good if mind line or heart line are not together)। स्पष्ट एंव बाधा रहित रेखा उत्तम मानी जाती है। कई बार मस्तिष्क रेखा एक छोर पर दो भागों में विभाजित हो जाती है। ऎसी रेखा वाला व्यक्ति स्थिर स्वभाव का नहीं होता है, सदा भ्रमित रहता है।
लाल किताब में सामुद्रिक ज्ञान यानी पामिस्ट्रि (Palmistry) के आधार पर व्यक्ति की जन्मकुण्डली का निर्माण होता है, तथा जिन व्यक्तियो को अपनी जन्मतिथि तथा जन्म समय मालूम नही उनके लिए लाल किताब बहुत लाभकारी है।
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हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह-2(Important Signs and symbols in Palmistry)
त्रिकोण (Triangle)
आप श्रृंखला के पहले भाग में पढ़ चुके होंगे कि सभी चिन्ह शुभ नहीं होते हैं और न तो सभी अशुभ प्रभाव डालने वाले होते हैं। यहां हम जिस चिन्ह की बात कर रहे हैं वह चिन्ह हथेली में होना शुभता की निशानी होती है। इस चिन्ह को यानी त्रिकोण को श्रेष्ठ चिन्ह कहा गया है। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार अगर यह आपके हाथ में है तो आप भले ही आसमान को न छू पाएं परन्तु ज़मीन पर मजे में जीवन गुजार सकते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि इस चिन्ह से बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं मिलती है लेकिन यह बुरी स्थिति से भी बचाव करती है।
त्रिकोण चिन्ह साफ व स्पष्ट होने से आपकी सोचने समझने की क्षमता अच्छी रहती है व आपकी बुद्धि तेज चलती है। यह चिन्ह जिस स्थान पर होता है उस स्थान पर मौजूद ग्रह शक्तिशाली हो जाते हैं और आपको उस ग्रह से अनुकूलता प्राप्त होती है। यह चिन्ह जब अलग अलग पर्वत पर होता है तब कैसा फल मिलता है आइये अब इसे देखें। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार जब यह चिन्ह बृहस्पति पर होता है तब आपमें प्रबंधन की क्षमता बहुत ही अच्छी रहती है, आप किसी भी संस्था को सही तरह से चलाने में सक्षम होते हैं एवं जनसमुदाय को निर्देशित करने की योग्यता रखते हैं।
त्रिकोण का चिन्ह अगर सर्य पर्वत पर हो तो आप गंभीर स्वभाव के होते हैं व कला के क्षेत्र में अपने प्रयास एवं लगन से धीरे धीरे सफलता एवं प्रसिद्धि हासिल करते हैं। आपकी हथेली मे चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण का निशान होना इस बात का सूचक होता है कि आप आपकी कल्पना व आपकी सोच निराधार नहीं होती है। आप जो भी सोचते या कल्पना करते हैं उनका एक दृढ़ आधार होता है। त्रिकोण का चिन्ह मंगल पर्वत पर होने से आप संघर्ष की स्थिति से दूर रहते हैं अगर ऐसी स्थिति आ भी जाती है तो आप अपनी चतुराई एवं अक्लमंदी से स्थितियों को अपनी ओर कर लेते है, साथ ही आप कठिन घड़ी में भी अपने आप पर नियंत्रण बनाये रखने में सक्षम होते हें और संकट की स्थिति में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि यह चिन्ह जब बुध पर्वत पर होता है तब आप व्यापार, व्यवसाय एवं आर्थिक विषयों में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कामयाब होते हैं। शुक्र प्यार मुहब्बत का स्थान होता है, शुक्र पर्वत पर इस चिन्ह के होना प्रेम और प्रेमी दोनों के लिए ही शुभ माना जाता है। इस स्थान पर यह चिन्ह होने से आप अपने मन को काबू में रख पाने में सफल होते हैं अर्थात आपका अपने मन पर नियंत्रण होता है एवं आपमें सहनशीलता रहती है जो प्यार की कामयाबी के लिए आवश्यक कहा गया है।
आप अपनी हथेली को गौर से देखिये कहीं यह चिन्ह शनि पर्वत पर तो नहीं है। अगर शनि पर्वत पर यह चिन्ह है तो आपके विषय में यही कहा जा सकता है कि यह आपको गुप्त विद्याओं की ओर आकर्षित करेगा आप तंत्र, मंत्र, यंत्र के पुजारी होंगे। आप लोगों को अपनी चमत्कारी विद्याओ से चकित करने की चाहत रखेंगे।
चक्र (Circle):
हस्त रेखीय ज्योतिष में चक्र के निशान को शुभ नहीं माना गया है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत से सम्बन्धित फल की हानि करता है, अगर यह किसी पर्वत पर स्थित होकर किसी रेखा को छूता है तो जिस रेखा को यह छूता है उसके शुभ प्रभाव की हानि हो जाती है। यह भी कहा गया है कि अगर यह रेखा चन्द्र पर्वत पर हो तब आपको जलक्षेत्र से सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में आपको जल में डूबकर मरने की संभावना रहती है।
सूर्य पर्वत इस सम्बन्ध में अपवाद माना गया है। अगर यह चिन्ह सूर्य पर्वत पर होता है तो इसे अशुभ नहीं माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर यह सूर्य ग्रह से मिलने वाले फल की वृद्धि करता है और आपको सूर्य का शुभ प्रभाव दिलाता है।
वर्गाकार रेखा ( Square):
हथेली में वर्गाकार रेखा शुभ चिन्ह के रूप में जाता है। इस रेखा को रक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है क्योकि यह निशान आपको जीवन में आने वाली समस्याओं को सहने की ताकत देता है और आपके अंदर की क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप आने वाली किसी भी कठिनाई से लड़कर अपने आपको सामान्य स्थिति मे ले आते हैं। हथेली में मौजूद अलग अलग पर्वत पर इस चिन्ह का प्रभाव भी अलग होता है जैसे अगर यह चिन्ह गुरू पर्वत पर हो तो आप महत्वाकांक्षी होते हैं आपके सपने आसमान की बुलंदियों को छूते हैं।
सूर्य पर्वत पर यह निशान होने से आप लोकप्रियता और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्सुक होते हैं। आपकी हथेली में चन्द्र पर्वत पर अगर वर्ग का चिन्ह है तो आप बहुत अधिक कल्पनाशील होते हैं आप ख्वाबो व ख्यालों की दुनियां में खोये रहते हैं। मंगल पर्वत पर इस चिन्ह का होना इस बात का इशारा है कि आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए अन्यथा शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं। बुध पर्वत पर वर्गाकर निशान का होना मानसिक असंतुलन को दर्शाता है। इस स्थति के होने से आपका मन चचल रहता है, आप किसी एक विषय पर अपने मन को स्थिर नहीं कर पाते हैं।
शुक्र पर्वत पर यह चिन्ह उन स्थितियों में आपको बचाता है जब आप आवेग या जोश में आकर कोई कदम उठा लेते हैं और संकट में घिर जाते हैं। शनि पर्वत पर यह निशान शुभ नहीं माना जाता है। इस स्थान पर इस चिन्ह के होने से आपको जीवन में कई स्थानों पर आपको नुकसान या क्षति की स्थिति से गुजरना होता है।
जाल (Grille):
हथेली पर जालीनुमा निशान होना सामुद्रिक ज्योतिष की दृष्टि से शुभ नहीं है। यह निशान हथेली पर जहां भी होता है उस स्थान से सम्बन्धित फल को नष्ट कर देता है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस निशान के होने से आपको जीवन में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, अगर आपके हाथों में भी यह निशान है तो समझ लिये आपको कठिनायों पर विजय हासिल करने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना होगा। हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि अगर यह निशान अपोलो पर्वत पर हो तो आपको सफलता का स्वाद मुश्किल से मिलता है।
हथेली के विभिन्न पर्वत पर इस निशान का क्या प्रभाव होता है आइये इसे देखते हैं। अगर यह निशान गुरू पर्वत पर हो तो यह आपको घमंडी, अपने आपको बढ़ा चढ़ा कर दिखाने वाला और अहमवादी बनाता है। सूर्य पर्वत पर चिन्ह का होना बताता है कि आप झूठी प्रतिष्ठा के लिए दिखावा करते और आज्ञानियों वाला काम कर जाते हैं। चन्द्र पर्वत पर जालीनुमा निशान बताता है कि आप अंदर से व्याकुल, अस्थिर और वेचैन रहते हैं। अगर आप प्यार में दिवानगी की हद पार कर जाते हैं तो संभव है कि आपकी हथेली के शुक्र पर्वत पर जालीनुमा निशान मौजूद हो, क्योंकि इस स्थान पर जाली का होना यही बताता है। शनि पर्वत पर यह निशान आपको शारीरिक रूप से अस्वस्थ एवं कमज़ोर बनाता है साथ ही यह आपको दुखी रखता है।
हथेली में पाये जाने वाले चिन्ह की पहली और दूसरी कड़ी आप पढ़ चुके हैं, कुछ और रोचक चिन्हों के विषय में जानने के लिए भाग तीन देखें।
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हाथ मिलाएँ और व्यक्तित्व जानें
- फाल्गुनी चौधरी
हम प्रतिदिन तरह-तरह के लोगों से मिलते हैं किंतु कौन ऐसा है, जिसे हम पहली मुलाकात में जान नहीं पाते हैं किंतु यह काम कोई कठिन नहीं है। आजकल वैज्ञानिक हर चीज पर शोध, अध्ययन करते हैं, उनकी इसी अध्ययन की कड़ी में एक शोध किया गया हाथ मिलाने के तरीकों पर। इस शोध के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए कि अलग-अलग प्रकार से हाथ मिलाने वाले किस प्रवृत्ति के होते हैं :-
ढीला एवं लापरवाही से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : स्वार्थी होगा, चालक होगा, लापरवाह होगा, सामने वाले व्यक्ति में रुचि नहीं लेगा। वह संकुचित विचारों वाला होगा, शंकालु प्रवृत्ति का होगा। सामने वाले को तुच्छ समझने वाला भी हो सकता है। घमंडी होगा। स्वयं को ज्यादा होशियार समझेगा। जिद्दी एवं तानाशाही प्रवृत्ति का होगा। वह जिस व्यक्ति से संपर्क करेगा, उसमें उसका स्वार्थ रहेगा। कभी ऐसा भी हो सकता है कि हाथ मिलाते समय उसके हाथ में दर्द हो या वह छुआछूत की बीमारी से डरता हो। इसलिए भी वह ढीले तरीके से हाथ मिला सकता है। कुल मिलाकर ऐसे व्यक्तियों में अहं भाव या सुपीरियरीटी कॉम्प्लेक्स ज्यादा पाया जाता है।
सैंडविच (तरीके से) हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : ऐसा व्यक्ति अत्यंत धूर्त एवं चालक होगा। कपटी होगा, बाहर से मीठी-मीठी बातें करेगा परंतु अंदर ही अंदर जड़ काटेगा। वह सब कार्यों में माहिर रहेगा। वह किसी भी किस्म के व्यक्ति से बात करके उससे अपना मतलब सिद्ध कर सकता है। अवसरवादी होगा। किसी भी बिजनेस में ऐसे व्यक्ति सफल रहते हैं क्योंकि स्वभाव में लचीलापन होता है। ऐसे लोगों में गजब की शक्ति होती है तथा अपना काम निकालने के लिए ये सभी हथकंडे प्रयोग करके सफल हो जाते हैं। उनमें दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने में महारत होती है।
हाथ मिलाकर लगातार हाथ हिलाने वाला व्यक्ति : वह बहुत लापरवाह होगा। उसे पता ही नहीं होता है कि आसपास क्या हो रहा है। संसार में क्या हो रहा है, इसकी उसे चिंता ही नहीं होती हैं। वह बहुत सुस्त होता है, दिखने में बड़ा होता है, परंतु बुद्धि छोटे बच्चों के समान रहती है। दिल का साफ होता है, कपटी बिलकुल नहीं होता है। गैर-जिम्मेदार होता है, इसलिए कोई भी जिम्मेदारी का काम उसे देना ठीक नहीं होता है। अदूरदर्शी होगा। उसे आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है। ऐसे लोगों में एक सचाई यह होती है कि जिससे ये हाथ मिलाते हैं, उसके प्रति प्रेम-भाव रखते हैं एवं संवेदनशील होते हैं।
कसकर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति अच्छे होते हैं। सामने वाले को आदर देते हैं। बराबरी का दर्जा देते हैं। आदर देते हैं एवं आदर पाने की आकांक्षा रखते हैं। समझदार होते हैं। भरोसेमंद होते हैं। दूसरों पर भरोसा करते हैं। पूर्ण परिपक्व एवं सभ्य होते हैं।
नीचे हाथ रखकर दूसरे हाथ से कसकर हाथ मिलाने वाले व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति अनुशासन रखते हैं एवं अनुशासन चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों का उनके स्तर या पद के अनुसार सम्मान करते हैं एवं स्वीकार करते हैं। दिल के साफ होते हैं। स्पष्टवादी होते हैं। कर्तव्यशील होते हैं। ईमानदार व वफादार होते हैं। इंसान से इंसान की तरह मिलने वाले होते हैं।
एक हाथ मिलाते हुए दूसरा हाथ सामने वाले के हाथ पर किसी जगह रखने वाला व्यक्ति : मानो कोई व्यक्ति किसी दूसरे से हाथ मिलाता है। हाथ मिलाते समय दूसरा हाथ सामने वाले के हाथ पर जैसे- कलाई, बाजू या कंधे पर रखे तो वह निम्न स्वभाव वाला होगा। यह सामने वाले का हितैषी होगा। सामने वाले की अच्छाई चाहेगा। उसकी खुशी, उसकी उन्नति, उसकी समृद्धि चाहेगा। उसे अच्छा मार्गदर्शन देगा एवं यथाशक्ति मदद करेगा। सामने वाले के सुख-दुख में, हँसी-खुशी में, अच्छे-बुरे में साथ देगा एवं सामने वाले का शुभचिंतक होगा।
हम प्रतिदिन तरह-तरह के लोगों से मिलते हैं किंतु कौन ऐसा है, जिसे हम पहली मुलाकात में जान नहीं पाते हैं किंतु यह काम कोई कठिन नहीं है। आजकल वैज्ञानिक हर चीज पर शोध, अध्ययन करते हैं, उनकी इसी अध्ययन की कड़ी में एक शोध किया गया हाथ मिलाने के तरीकों पर। इस शोध के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए कि अलग-अलग प्रकार से हाथ मिलाने वाले किस प्रवृत्ति के होते हैं :-
ढीला एवं लापरवाही से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : स्वार्थी होगा, चालक होगा, लापरवाह होगा, सामने वाले व्यक्ति में रुचि नहीं लेगा। वह संकुचित विचारों वाला होगा, शंकालु प्रवृत्ति का होगा। सामने वाले को तुच्छ समझने वाला भी हो सकता है। घमंडी होगा। स्वयं को ज्यादा होशियार समझेगा। जिद्दी एवं तानाशाही प्रवृत्ति का होगा। वह जिस व्यक्ति से संपर्क करेगा, उसमें उसका स्वार्थ रहेगा। कभी ऐसा भी हो सकता है कि हाथ मिलाते समय उसके हाथ में दर्द हो या वह छुआछूत की बीमारी से डरता हो। इसलिए भी वह ढीले तरीके से हाथ मिला सकता है। कुल मिलाकर ऐसे व्यक्तियों में अहं भाव या सुपीरियरीटी कॉम्प्लेक्स ज्यादा पाया जाता है।
सैंडविच (तरीके से) हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : ऐसा व्यक्ति अत्यंत धूर्त एवं चालक होगा। कपटी होगा, बाहर से मीठी-मीठी बातें करेगा परंतु अंदर ही अंदर जड़ काटेगा। वह सब कार्यों में माहिर रहेगा। वह किसी भी किस्म के व्यक्ति से बात करके उससे अपना मतलब सिद्ध कर सकता है। अवसरवादी होगा। किसी भी बिजनेस में ऐसे व्यक्ति सफल रहते हैं क्योंकि स्वभाव में लचीलापन होता है। ऐसे लोगों में गजब की शक्ति होती है तथा अपना काम निकालने के लिए ये सभी हथकंडे प्रयोग करके सफल हो जाते हैं। उनमें दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने में महारत होती है।
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हाथ मिलाकर लगातार हाथ हिलाने वाला व्यक्ति : वह बहुत लापरवाह होगा। उसे पता ही नहीं होता है कि आसपास क्या हो रहा है। संसार में क्या हो रहा है, इसकी उसे चिंता ही नहीं होती हैं। वह बहुत सुस्त होता है, दिखने में बड़ा होता है, परंतु बुद्धि छोटे बच्चों के समान रहती है। दिल का साफ होता है, कपटी बिलकुल नहीं होता है। गैर-जिम्मेदार होता है, इसलिए कोई भी जिम्मेदारी का काम उसे देना ठीक नहीं होता है। अदूरदर्शी होगा। उसे आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है। ऐसे लोगों में एक सचाई यह होती है कि जिससे ये हाथ मिलाते हैं, उसके प्रति प्रेम-भाव रखते हैं एवं संवेदनशील होते हैं।
कसकर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति अच्छे होते हैं। सामने वाले को आदर देते हैं। बराबरी का दर्जा देते हैं। आदर देते हैं एवं आदर पाने की आकांक्षा रखते हैं। समझदार होते हैं। भरोसेमंद होते हैं। दूसरों पर भरोसा करते हैं। पूर्ण परिपक्व एवं सभ्य होते हैं।
नीचे हाथ रखकर दूसरे हाथ से कसकर हाथ मिलाने वाले व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति अनुशासन रखते हैं एवं अनुशासन चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों का उनके स्तर या पद के अनुसार सम्मान करते हैं एवं स्वीकार करते हैं। दिल के साफ होते हैं। स्पष्टवादी होते हैं। कर्तव्यशील होते हैं। ईमानदार व वफादार होते हैं। इंसान से इंसान की तरह मिलने वाले होते हैं।
एक हाथ मिलाते हुए दूसरा हाथ सामने वाले के हाथ पर किसी जगह रखने वाला व्यक्ति : मानो कोई व्यक्ति किसी दूसरे से हाथ मिलाता है। हाथ मिलाते समय दूसरा हाथ सामने वाले के हाथ पर जैसे- कलाई, बाजू या कंधे पर रखे तो वह निम्न स्वभाव वाला होगा। यह सामने वाले का हितैषी होगा। सामने वाले की अच्छाई चाहेगा। उसकी खुशी, उसकी उन्नति, उसकी समृद्धि चाहेगा। उसे अच्छा मार्गदर्शन देगा एवं यथाशक्ति मदद करेगा। सामने वाले के सुख-दुख में, हँसी-खुशी में, अच्छे-बुरे में साथ देगा एवं सामने वाले का शुभचिंतक होगा।
सामने वाले की हथेली को ऊपर से दबाकर हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : यदि कोई व्यक्ति सामने वाले की हथेली को ऊपर से दबाकर हाथ मिलाता है तो वह निम्न स्वभाव का होगा। वह गुस्सैल एवं घमंडी होगा। सुपीरियरीटी कॉम्प्लेक्स उसमें कूट-कूटकर भरा होता है। सामने वाले को तुच्छ या नहीं के बराबर मानता है। अपने आपको सभी से उच्च समझता है। दूसरों की चिंता नहीं करता। दूसरों पर अपना प्रभाव जमाकर या दबाब डालकर काम करवाता है। तानाशाही प्रवृत्ति का होता है। वह चाहता है कि लोग उसे मानें, जानें एवं सम्मान दें। चाहे वह कैसा भी हो, हर जगह अपने को उच्च मानता है।
नीचे से खुली हथेली से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : वह सहज स्वभाव का होगा। सबसे सरलता से मिलेगा। सामने वाले को स्वीकारेगा एवं सम्मान करेगा। कभी-कभी सामने वाले से अपने को हीन समझेगा। एक अच्छा मेजबान भी होगा। वह डरपोक होगा। बहुत जल्दी विचलित होगा। सामनेवाला उसे आसानी से अपने वश में कर सकता है और अपनी बात से सहमत करवा सकता है। वह हीनभावना से ग्रस्त होगा। बहुत अच्छा सहयोगी भी हो सकता है। मिलनसार होगा, शांतिप्रिय होगा, परंपरा का पालन करेगा। कुल मिलाकर दिल का साफ होगा।
अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य ज्यादा अंतर हो तो : यह व्यक्ति खुले दिल एवं दिमाग वाला होगा। दूसरों को मदद करेगा। वह अत्यंत भावुक एवं संवेदनशील होगा। उसका दिल बहुत जल्दी पसीज जाता है। वह खर्चीला होगा, अदूरदर्शी होगा तथा बिना सोचे-समझे कदम उठाने वाला रहेगा। धार्मिक प्रवृत्ति वाला होगा, अंधविश्वासी होगा तथा मानव प्रेमी होगा। सहज स्वभाव का होगा तथा जल्दी ही किसी के प्रभाव में आने वाला होगा। अति कल्पनाशील या अवास्तविकता में जीने वाला होगा।
अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य कम अंतर हो तो : संकुचित विचारों वाला तथा कंजूस प्रवृत्ति का होगा। दिल का कठोर होगा तथा इच्छा शक्ति दृढ़ होगी। जिद्दी एवं अव्यावहारिक होगा। भावनाओं में बहने वाला नहीं होगा तथा प्रत्येक कदम फूँक-फूँककर रखने वाला होगा। स्वस्थ एवं स्पष्टवादी होगा। अवसरों एवं लोगों को अपने फायदे के लिए उपयोग करने वाला होगा। घमंडी एवं असहयोगी होगा।
अँगूठे एवं प्रथम अँगुली के मध्य न ज्यादा न कम अंतर हो तो : ऐसा व्यक्ति समझदार होगा, संतुलित होगा, यशस्वी होगा, मितव्ययी होगा तथा वास्तविकता में जीने वाला होगा, रचनात्मक होगा। समयानुसार या परिस्थिति अनुसार नरम-गरम होगा। सहयोगी एवं कर्तव्य-निष्ठ होगा। पक्षपात नहीं करेगा तथा जीवन को वास्तविक तरीके से जीने वाला होगा।
हथेली यदि मुलायम हो तो : ऐसे व्यक्ति की सभी आवश्यकताएँ आसानी से पूर्ण हो जाएँगी। वह किसी अमीर घर का व्यक्ति हो सकता है। ऐसा व्यक्ति सुस्त होगा तथा मेहनत पसंद नहीं होगा। फिर भी वह इतना किस्मत वाला होगा कि सभी कुछ सही समय पर सहजता से प्राप्त होगा। दिल का कोमल परंतु अय्याश किस्म का होगा। उसकी कुछ खास चुनिंदा आदतें होंगी। कामचोर होगा। वह चाहे जिस परिस्थिति में से आया हो, खुशकिस्मत ही रहेगा।
सख्त या कठोर हथेली वाला व्यक्ति : ऐसी हथेली वाले व्यक्ति को अपनी किसी भी प्रकार की आवश्यकता की पूर्ति के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। वह शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार की मेहनत करने वाला होगा। रोजी-रोटी परिश्रम से पाएगा। उसकी जिंदगी संघर्षमय होगी या यूँ कहिए कि उसकी जिंदगी श्रममय होगी। वह जल्दी ही गरम परंतु जल्दी ही ठंडा हो जाने वाला रहेगा।
नीचे से खुली हथेली से हाथ मिलाने वाला व्यक्ति : वह सहज स्वभाव का होगा। सबसे सरलता से मिलेगा। सामने वाले को स्वीकारेगा एवं सम्मान करेगा। कभी-कभी सामने वाले से अपने को हीन समझेगा। एक अच्छा मेजबान भी होगा। वह डरपोक होगा। बहुत जल्दी विचलित होगा। सामनेवाला उसे आसानी से अपने वश में कर सकता है और अपनी बात से सहमत करवा सकता है। वह हीनभावना से ग्रस्त होगा। बहुत अच्छा सहयोगी भी हो सकता है। मिलनसार होगा, शांतिप्रिय होगा, परंपरा का पालन करेगा। कुल मिलाकर दिल का साफ होगा।
अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य ज्यादा अंतर हो तो : यह व्यक्ति खुले दिल एवं दिमाग वाला होगा। दूसरों को मदद करेगा। वह अत्यंत भावुक एवं संवेदनशील होगा। उसका दिल बहुत जल्दी पसीज जाता है। वह खर्चीला होगा, अदूरदर्शी होगा तथा बिना सोचे-समझे कदम उठाने वाला रहेगा। धार्मिक प्रवृत्ति वाला होगा, अंधविश्वासी होगा तथा मानव प्रेमी होगा। सहज स्वभाव का होगा तथा जल्दी ही किसी के प्रभाव में आने वाला होगा। अति कल्पनाशील या अवास्तविकता में जीने वाला होगा।
अँगूठे तथा प्रथम अँगुली के मध्य कम अंतर हो तो : संकुचित विचारों वाला तथा कंजूस प्रवृत्ति का होगा। दिल का कठोर होगा तथा इच्छा शक्ति दृढ़ होगी। जिद्दी एवं अव्यावहारिक होगा। भावनाओं में बहने वाला नहीं होगा तथा प्रत्येक कदम फूँक-फूँककर रखने वाला होगा। स्वस्थ एवं स्पष्टवादी होगा। अवसरों एवं लोगों को अपने फायदे के लिए उपयोग करने वाला होगा। घमंडी एवं असहयोगी होगा।
अँगूठे एवं प्रथम अँगुली के मध्य न ज्यादा न कम अंतर हो तो : ऐसा व्यक्ति समझदार होगा, संतुलित होगा, यशस्वी होगा, मितव्ययी होगा तथा वास्तविकता में जीने वाला होगा, रचनात्मक होगा। समयानुसार या परिस्थिति अनुसार नरम-गरम होगा। सहयोगी एवं कर्तव्य-निष्ठ होगा। पक्षपात नहीं करेगा तथा जीवन को वास्तविक तरीके से जीने वाला होगा।
हथेली यदि मुलायम हो तो : ऐसे व्यक्ति की सभी आवश्यकताएँ आसानी से पूर्ण हो जाएँगी। वह किसी अमीर घर का व्यक्ति हो सकता है। ऐसा व्यक्ति सुस्त होगा तथा मेहनत पसंद नहीं होगा। फिर भी वह इतना किस्मत वाला होगा कि सभी कुछ सही समय पर सहजता से प्राप्त होगा। दिल का कोमल परंतु अय्याश किस्म का होगा। उसकी कुछ खास चुनिंदा आदतें होंगी। कामचोर होगा। वह चाहे जिस परिस्थिति में से आया हो, खुशकिस्मत ही रहेगा।
सख्त या कठोर हथेली वाला व्यक्ति : ऐसी हथेली वाले व्यक्ति को अपनी किसी भी प्रकार की आवश्यकता की पूर्ति के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। वह शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार की मेहनत करने वाला होगा। रोजी-रोटी परिश्रम से पाएगा। उसकी जिंदगी संघर्षमय होगी या यूँ कहिए कि उसकी जिंदगी श्रममय होगी। वह जल्दी ही गरम परंतु जल्दी ही ठंडा हो जाने वाला रहेगा।
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Sign and symbols in palm tells your future, Now you can know more about your future by palmistry specialist.
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Now palmistry specialist can tell about your future to see your hand's palm.
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Palmistry show your future in advance,mostly people believe and you can get knowledge about this by the help of this blog.
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Every people have all luck in his palm if you want to know your future then you can take help of palmistry and know your future in advance.
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The lines in your palm shows your future and luck. By best palmistry specialist you can get more detail about your future and solutions of your problems.
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